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Shahid ramfal mandal, शाहिद रामफल मंडल

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Facebook link भारत मां के र्गव था, "वह हैं" मैथिली गरीबी-गोकुल मंडल का संतान। मात्र 19 वर्ष के उम्र में दे दी देश के खातिर प्राण, हंसकर चुमा फांसी का फंदा, दिया प्राणों का बलिदान, ऐसे थे हमारे वीर योद्धा शहीद रामफल मंडल जी महान। जंग खा गए क्यों इतिहास के पन्ने, क्यों नहीं मिला उचित सम्मान। क्या व्यर्थ थी उनकी कुर्बानी, कुछ बोल मेरे हिंदुस्तान- कुछ बोल मेरे हिंदुस्तान।। थे पहलवान वे,धाकड़-तगड़ा, मन में लिया यह ठान, मार डालुउंगा भारत के गद्दारों को, आजाद करूंगा हिंदुस्तान। ऐसे थे हमारे वीर योद्धा शहीद रामफल मंडल जी महान। Instagram Link ना तो बंदूक उठाया, ना फोड़ा कभी गोला। उसके गड़सा के डंकारसे, अंग्रेजी हुकूमत डोला। हंसकर चुमा फांसी का फंदा, ऊफ तक नहीं बोला। फिर उनके कफन लहरा के बोला, माई रंग दे बसंती चोला। नमस्कार दौस्तों मैं हुंं बिरेन्र्द मंडल धानुक,दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं बिहार के प्रथम शहीद अमर शहीद रामफल मंडल जी के बारे में। जी हां दोस्तों शहीद को असल सम्मान तब जाकर मिलता है जब देश के बच्चा-बच्चा उनकी कुर्बानी को जान जाता हैं, जब उनके कसमे खाया जातें है

राजा धनक कि कहानी

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Join my facebook peg राजा धनक के चार पुत्र थे (1)कृतवीर्य (2)कृतग्नि (3)कृतवर्मा (4)कृतौजा। इनमें से बड़े पृतवीर्य को राजगद्दी मिली शेस-3 पुत्र के बारे में धार्मिक ग्रंथ मौन है। इनके बारे में किसी भी ग्रंथ में उल्लेख प्राप्त नहीं होता है। संभवत इन तीनों राजकुमारों ने अपने पृथक् राज्य की स्थापना कर राज्य शासन चलाया कहीं-कहीं पढ़ने को मिलता है कि राजा धनक के पुत्रों ने हिमाचल तक अपने राज्य का विस्तार किया था उन तीनों युवराज का क्या हुआ क्या वह अपने भाइयों के अधीन कार्य करते थे अथवा उनको अलग से राज्य देकर दूसरे राज्य में भेज दिया गया अथवा उन्हें समाप्त कर दिया गया जैसे प्राचीन काल में प्रथा थी कि बड़े बेटे को राज गद्दी शौप कर राजा बन प्रस्थान में चले जाते थे यह संभव है कि राजा धनक ने अपना राज्य अपने लड़के को  शौपकर वन प्रस्थान में चले गए और ईश्वर की तपस्या में लीन हो गए वहां पर भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उन्हें शक्ति प्रदान की और वह शक्ति थी धनुष बान। यह शक्ति राजा धनक द्वारा अपने शेष पुत्रों को दे दी गई इन पुत्रों ने अपने पिता राजा धनक के नाम पर अपना पृथक से धनक वंश चलाया किंतु वे अधिक

विर धानुक समाज

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ताम्रपत्रों, शिलालेखों से एवं अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों से प्रमाणित होता है कि धानुक वीर धनुर्धर जाति रही है, जो कि सेना के अग्र भाग में चलती थी। युद्ध जीतने के लिये जहाँ-जहाँ राजा गए वहाँ पर इस जाति के लोग गए और उन्होंने वहि अपना निवास बना लिया। भारतीय इतिहास में पानीपत में तीन युद्ध हुवा हैं। तीसरे युद्ध  में दक्षिण से सेना  उत्तर की और गई है। तीसरा पानीपर का युद्ध 1726 में हुवा,  जिसमें दक्षिण से पेशवाओं ने अपनी सम्पुर्ण सेना लेकर उत्तर में आक्रमण किया और वे हार गए।ऐसे में वीर धनुर्धर धानुक सैनिक उत्तर में  जाकर बस गए

Kisan andolan | किसान अंदोलन कर रहा है फिर ए खेतों मे कोन है #Kisanandoa...

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1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध। जब पाकिस्तान को उल्टे पाँव भागना पड़ा। ind...

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धानुक समाज? धानुक दर्पण किताब

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