जो समाज एक #हैशटैग ट्रेंड नहीं करा सकता, उनसे एकता की क्या उम्मीद?
जो समाज एक #हैशटैग ट्रेंड नहीं करा सकता, उनसे एकता की क्या उम्मीद? कुछ वर्ष पूर्व हमने सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू की थी – #शहीद_रामफल_मंडल जी को पहचान दिलाने की। लेकिन दुख की बात यह रही कि इस मुहिम को हमने नहीं, समाज के ही कुछ लोगों ने "शशिधर और बिरेंद्र धानुक की निजी पहल" मान लिया। विशेषकर समाज के ही कुछ गुटबाज धानुकों ने इस पहल में भाग नहीं लिया, और एक जरूरी कोशिश असफल रह गई। अब समय बदल चुका है। सोशल मीडिया की ताकत असीमित है। आज अगर कोई हैशटैग ट्रेंड में आ जाए, तो नेता से लेकर अभिनेता, मीडिया से लेकर सरकार तक सब उसे नोटिस करते हैं। कई बार मजबूरी में उन्हें उस मुद्दे पर बोलना भी पड़ता है। आइए, इस अगस्त में एक बार फिर कोशिश करें। #शहीद_रामफल_मंडल को ट्विटर (अब एक्स) पर ट्रेंड कराएं। उनकी शहादत को वो राष्ट्रीय सम्मान दिलाएं, जिसके वे हकदार हैं। सोशल मीडिया की ताकत के कुछ सच्चे उदाहरण: 1. हाथरस कांड (2020): एक दलित युवती के साथ गैंगरेप और उसकी हत्या को प्रशासन ने दबाने की पूरी कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया पर जब हैशटैग #JusticeForManisha ट्रेंड करने लगा, तो देश भर म...