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दहेज प्रथा बिहार का अभिश्राप है

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जय धानुक समाज दहेज़ के बारे में लिखना पढ़ना उसे बुरा बताना तो हर कोई चाहता है, पर उसे खत्म करना कोई नहीं चाहता क्यों? जब बात बेटे कि शादी कि हो तो बाप बहुत ही चौरा होकर दहेज मांगता है, और जब देने कि बाड़ी आए तो सर पकर कर रोता हैं। थोड़ा कड़वा है परन्तु १००% सच्च है, अगर किसी को बुड़ा लगे तो छमा प्रार्थी हूं 🙏 खासकर के मिथिलांचल के धानुक भाईयों वो दिन अब ज्यादा दुर नहीं, जब आपको भी अन्य प्रदेशों के तरह, अपने बच्चों के लिए लड़की मिलना बंद हो जाए। आज जिस तरह से गरीबी मां बाप अपने बेटीयों कि सादी UP करने पर मजबुर हैं। हम किसी भी नेता या पार्टी को जानतें हैं या नहीं, उस से पहले क्या हम खुद को जान पायें हैं।  बहुत सारे हमारे आदरणीय समाज सेवक को देखा हुं, facebook whatsapp पर तो समाज सेवा की बात करते हैं, बात जब दहेज लेने की आती है उसे बड़े ही शिद्दत से अंजाम देते हैं, है ना अजीब। जब बच्चे शिक्षित हो जाते हैं तो उसे किसी नेता की पैरवी की जरुरत नहीं पड़ता, वह अपना रास्ता खुद ढूंढ लेते हैं । बस जरुरी है उस स्तर की शिक्षा के जो हमारे समाज में ज्यादा तर घरों में होना मुश्किल है...

राजा धनक कि कहानी

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Join my facebook peg राजा धनक के चार पुत्र थे (1)कृतवीर्य (2)कृतग्नि (3)कृतवर्मा (4)कृतौजा। इनमें से बड़े पृतवीर्य को राजगद्दी मिली शेस-3 पुत्र के बारे में धार्मिक ग्रंथ मौन है। इनके बारे में किसी भी ग्रंथ में उल्लेख प्राप्त नहीं होता है। संभवत इन तीनों राजकुमारों ने अपने पृथक् राज्य की स्थापना कर राज्य शासन चलाया कहीं-कहीं पढ़ने को मिलता है कि राजा धनक के पुत्रों ने हिमाचल तक अपने राज्य का विस्तार किया था उन तीनों युवराज का क्या हुआ क्या वह अपने भाइयों के अधीन कार्य करते थे अथवा उनको अलग से राज्य देकर दूसरे राज्य में भेज दिया गया अथवा उन्हें समाप्त कर दिया गया जैसे प्राचीन काल में प्रथा थी कि बड़े बेटे को राज गद्दी शौप कर राजा बन प्रस्थान में चले जाते थे यह संभव है कि राजा धनक ने अपना राज्य अपने लड़के को  शौपकर वन प्रस्थान में चले गए और ईश्वर की तपस्या में लीन हो गए वहां पर भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उन्हें शक्ति प्रदान की और वह शक्ति थी धनुष बान। यह शक्ति राजा धनक द्वारा अपने शेष पुत्रों को दे दी गई इन पुत्रों ने अपने पिता राजा धनक के नाम पर अपना पृथक से धनक वंश चलाया किंतु वे अ...