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अब भी जागो धानुक समाज!

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अब भी जागो धानुक समाज! धानुक समाज एक लंबे अरसे से इस भ्रम में जी रहा है कि कोई न कोई नेता, कोई मसीहा आएगा और उसका उद्धार कर देगा। पर यह सोच केवल आत्मप्रवंचना है। मैं वर्षों से देख रहा हूँ — पहले भी कई संस्थाएँ थीं जो धानुक समाज के नाम पर चल रही थीं, और आज भी कई संगठन नए चेहरे लेकर सामने आ रहे हैं। लेकिन यदि आप गहराई से देखेंगे तो पाएँगे कि चाहे पुराने हों या नए, दोनों का मकसद एक ही है — व्यक्ति विशेष का लाभ, न कि समाज का सशक्तिकरण। पहले की संस्थाएँ समाज को शासन और प्रशासन में भागीदारी दिलाने का सपना दिखा कर धोखा देती रहीं। अब की संस्थाएँ दो-चार सतही कार्य करके उन्हें सोशल मीडिया पर दिखा कर वाहवाही बटोरती हैं। यह भी एक नए दौर का छलावा है, जो समाज को गुमराह कर रहा है। असलियत यह है कि आज धानुक जाति का कोई वास्तविक नेता नहीं है, कोई प्रभावशाली संस्था नहीं है, और इसका मुख्य कारण खुद समाज की निष्क्रियता और आपसी बिखराव है। जब समाज का कोई व्यक्ति संकट में होता है — किसी बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है, कोई मौत के मुहाने पर होता है, किसी गरीब परिवार की मदद की ज़रूरत होती है, ...तो कोई...

जो समाज एक #हैशटैग ट्रेंड नहीं करा सकता, उनसे एकता की क्या उम्मीद?

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जो समाज एक #हैशटैग ट्रेंड नहीं करा सकता, उनसे एकता की क्या उम्मीद? कुछ वर्ष पूर्व हमने सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू की थी – #शहीद_रामफल_मंडल जी को पहचान दिलाने की। लेकिन दुख की बात यह रही कि इस मुहिम को हमने नहीं, समाज के ही कुछ लोगों ने "शशिधर और बिरेंद्र धानुक की निजी पहल" मान लिया। विशेषकर समाज के ही कुछ गुटबाज धानुकों ने इस पहल में भाग नहीं लिया, और एक जरूरी कोशिश असफल रह गई। अब समय बदल चुका है। सोशल मीडिया की ताकत असीमित है। आज अगर कोई हैशटैग ट्रेंड में आ जाए, तो नेता से लेकर अभिनेता, मीडिया से लेकर सरकार तक सब उसे नोटिस करते हैं। कई बार मजबूरी में उन्हें उस मुद्दे पर बोलना भी पड़ता है। आइए, इस अगस्त में एक बार फिर कोशिश करें। #शहीद_रामफल_मंडल को ट्विटर (अब एक्स) पर ट्रेंड कराएं। उनकी शहादत को वो राष्ट्रीय सम्मान दिलाएं, जिसके वे हकदार हैं। सोशल मीडिया की ताकत के कुछ सच्चे उदाहरण: 1. हाथरस कांड (2020): एक दलित युवती के साथ गैंगरेप और उसकी हत्या को प्रशासन ने दबाने की पूरी कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया पर जब हैशटैग #JusticeForManisha ट्रेंड करने लगा, तो देश भर म...

दहेज प्रथा बिहार का अभिश्राप है

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जय धानुक समाज दहेज़ के बारे में लिखना पढ़ना उसे बुरा बताना तो हर कोई चाहता है, पर उसे खत्म करना कोई नहीं चाहता क्यों? जब बात बेटे कि शादी कि हो तो बाप बहुत ही चौरा होकर दहेज मांगता है, और जब देने कि बाड़ी आए तो सर पकर कर रोता हैं। थोड़ा कड़वा है परन्तु १००% सच्च है, अगर किसी को बुड़ा लगे तो छमा प्रार्थी हूं 🙏 खासकर के मिथिलांचल के धानुक भाईयों वो दिन अब ज्यादा दुर नहीं, जब आपको भी अन्य प्रदेशों के तरह, अपने बच्चों के लिए लड़की मिलना बंद हो जाए। आज जिस तरह से गरीबी मां बाप अपने बेटीयों कि सादी UP करने पर मजबुर हैं। हम किसी भी नेता या पार्टी को जानतें हैं या नहीं, उस से पहले क्या हम खुद को जान पायें हैं।  बहुत सारे हमारे आदरणीय समाज सेवक को देखा हुं, facebook whatsapp पर तो समाज सेवा की बात करते हैं, बात जब दहेज लेने की आती है उसे बड़े ही शिद्दत से अंजाम देते हैं, है ना अजीब। जब बच्चे शिक्षित हो जाते हैं तो उसे किसी नेता की पैरवी की जरुरत नहीं पड़ता, वह अपना रास्ता खुद ढूंढ लेते हैं । बस जरुरी है उस स्तर की शिक्षा के जो हमारे समाज में ज्यादा तर घरों में होना मुश्किल है...

राजा धनक कि कहानी

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Join my facebook peg राजा धनक के चार पुत्र थे (1)कृतवीर्य (2)कृतग्नि (3)कृतवर्मा (4)कृतौजा। इनमें से बड़े पृतवीर्य को राजगद्दी मिली शेस-3 पुत्र के बारे में धार्मिक ग्रंथ मौन है। इनके बारे में किसी भी ग्रंथ में उल्लेख प्राप्त नहीं होता है। संभवत इन तीनों राजकुमारों ने अपने पृथक् राज्य की स्थापना कर राज्य शासन चलाया कहीं-कहीं पढ़ने को मिलता है कि राजा धनक के पुत्रों ने हिमाचल तक अपने राज्य का विस्तार किया था उन तीनों युवराज का क्या हुआ क्या वह अपने भाइयों के अधीन कार्य करते थे अथवा उनको अलग से राज्य देकर दूसरे राज्य में भेज दिया गया अथवा उन्हें समाप्त कर दिया गया जैसे प्राचीन काल में प्रथा थी कि बड़े बेटे को राज गद्दी शौप कर राजा बन प्रस्थान में चले जाते थे यह संभव है कि राजा धनक ने अपना राज्य अपने लड़के को  शौपकर वन प्रस्थान में चले गए और ईश्वर की तपस्या में लीन हो गए वहां पर भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उन्हें शक्ति प्रदान की और वह शक्ति थी धनुष बान। यह शक्ति राजा धनक द्वारा अपने शेष पुत्रों को दे दी गई इन पुत्रों ने अपने पिता राजा धनक के नाम पर अपना पृथक से धनक वंश चलाया किंतु वे अ...