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अमर शहीद रामफल मंडल पर कविता

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सुनो-सुनो देशवासियों, #शहीद_रामफल_मंडल की अमर कहानी मातृभूमि की आजादी के लिए दे दी अपनी कुर्बानी।।                     हमसे फेसबुक पर जुड़े 06 अगस्त 1924 को धानुक वंश में जन्म लिया माता पिता ने अपने पुत्र का रामफल मंडल नाम दिया। मां गरबी घर खुशियां छाई पिता गोखुल घर आई बधाई। मधुरापुर सीतामढ़ी की मान बड़ाई बिहार वासियों की शान बढ़ाई। रूप मनोहर श्यामली सूरत लगता जैसे कृष्णा की मूरत। भारत सपूत वीर रामफल की जीवन गाथा ध्यान लगाकर सुनो कहानी। मातृभूमि की आजादी के खातिर दे दी अपनी कुर्बानी। शहीद रामफल मंडल थे चार भाई सभी भाइयों में असीम प्यार एक दूसरे पर थी इनायत ना कोई शिकवा ना शिकायत। बचपन बीता खेल कूद में, चलंत स्कूल में शिक्षा पायी, आगे पढ़ने की सुविधा ना देख, कुश्ती लड़ने में ध्यान लगायी पढ़ना छोड़ गया अखाड़ा करने लगा पहलबानी। मातृभूमि की आजादी के लिए दे दी अपनी कुर्बानी।। 08  अगस्त 1942 को अखिल भारतीय, काँग्रेस अधिवेशन, देश नेतृत्व का सर्वसम्मति से, गाँधी जी को मिला समर्थन। अबुल कलाम के सभापतित्व में, गांधी जी का हुवा ऐलान, करो या मरोका दिया