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कुंवारी लड़कियों को प्रताड़ित करके देती थी मौत

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महारानी एलिज़ाबेथ बाथरी को इतिहास की सबसे खतरनाक और वहशी महिला सीरियल किलर के तौर पर जाना जाता है। जिसने 1585 से 1610 के दौरान, अपनी जवानी को बरकरार रखने के लिए अपने महल में 600 से ज्यादा लड़कियों की हत्या कर उनके खून से स्नान किया। #कौन_थी_एलिजाबेथ_बाथरी : एलिजाबेथ बाथरी हंगरी साम्राज्य के ऊंचे रसूख वाले बाथरी परिवार से ताल्लुक रखती थी। उसकी शादी फेरेंक नैडेस्‍डी नाम के शख्‍स से हुई थी और वह तुर्कों के खिलाफ युद्ध में हंगरी का राष्‍ट्रीय हीरो था। जब तक वह जिंदा था तब भी एलिजाबेथ लड़कियों को अपना शिकार बनाती थी, लेकिन 1604 में पति की मौत के बाद उसके जुर्म की इंतिहा हो गई थी। एलिजाबेथ बाथरी स्‍लोवानिया के चास्चिस स्थित अपने महल में रहती थी तथा उसने वही सारी घटनाओं को अंजाम दिया था। #कुंवारी_लड़कियों_को_प्रताड़ित_करके_देती_थी_मौत : एलिजाबेथ बाथरी के दिमाग में यह फितूर था की यदि वो कमसिन कुंवारी लड़कियों के खून से स्नान करेगी तो सदैव जवान बानी रहेगी। उसके इसी फितूर ने उसको दुनिया की नंबर एक सीरियल किलर बना दिया। उसके इस काम में उसके तीन नौकर भी उसका साथ देते थे। चुकी वी एक ऊंचे रस

वर्तमान सरकार कर रहा है अंदेखा धानुक समाज को

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1 एक तरफ माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने गुजरात में पटेल के आरक्षण की मांग को इस आधार पर न्यायोचित ठहराया है कि देश के दूसरे राज्यों में उनके समकक्ष समुदायों को आरक्षण मिल रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ बिहार के धानुक समाज (जो बिहार छोड़कर देश के सभी राज्यों में अनुसूचित जाति/जन जाति में है, यहाँ तक कि नेपाल में भी जन जाति में है|) के मांग को ख़ारिज कर देना कहाँ तक न्यायोचित है ? 2 एक तरफ सरकार ने कहा है कि किसी जाति विशेष को अनुसूचित जाति/जन जाति में शामिल करने का मामला भारत सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है तो स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि कैसे लोहार एवं नइया जाति को अनुसूचित जनजाति और तांती एवं खतबे जाति को अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा है ? संबंधित अभिलेख अनुलग्न है| मैं अपील करता हूँ कि इस सम्बन्ध में अपनी राय बेझिझक रखें| कमेन्ट करें | शेयर करें | आपकी राय के आधार पर ही आगे की सोचेंगें | अक्सर मुझे लोग फोन कर वर्तमान परिदृश्य में किस गठ्वंधन को समर्थन/विरोध की बात करते हैं | आज मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि अबतक ना तो मैं किसी के समर्थन में हूँ और ना ही विरोध में | समाज