आरक्षन क्या है

जो लोग आरक्षण को गरीबी से जोड़कर देखते हैं, वो लोग दरअसल आरक्षण का मतलब ही नहीं समझते हैं | आरक्षण का अर्थ है अधिकारों का रक्षण | अधिकारों का रक्षण कैसे ? जिन लोगो को सदियों तक जातिगत भेदभाव के कारण उनके मानवीय अधिकारों से वंचित रखा गया तो देश आजाद होते समय जब संविधान तैयार हो रहा था तो ये ख्याल रखा गया कि भविष्य में उनके अधिकारों का ऐसी जातिवादी मानसिकता के कारण हनन न हो | अधिकारों के उस हनन को रोकने और अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया | किन मानवीय अधिकारों का हनन किया गया ? इस देश के शोषित वंचित और पिछड़ों को उनके मूलभूत अधिकारों जैसे शिक्षा का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, रोजगार का अधिकार से वंचित रखा गया था | जब किसी समाज को शिक्षा का अधिकार ही नहीं होगा तो वो समाज आगे कैसे बढेगा ? उस समाज का मानसिक विकास कैसे होगा ? उस समाज में जाग्रति कैसे आएगी ? जब समाज में जाग्रति ही नहीं आएगी तो उसका विकास कैसे हो सकता है ? इस अधिकार की रक्षा के लिए शिक्षा में आरक्षण दिया गया | शिक्षा में आरक्षण होने के बावजूद आज भी जातिवादी मानसिकता के चलते इन समाज के लोगो को आज भी जानबूझकर फेल कर दिया जाता है | कुछ लोग को आज भी हमारे शिक्षा हासिल करने से बहुत बड़ा सिरदर्द होता है | ये लोग आज भी नहीं चाहते कि हम लोग शिक्षा हासिल कर इनके बराबर में बैठे | भूतकाल में इन्होने हमको संपत्ति के अधिकार से भी वंचित रखा था | हमको इन्होने संपत्ति अर्जित करने का कोई अधिकार ही नहीं था | अगर हम कोई संपत्ति अर्जित भी कर लेते थे तो उसको ब्राह्मण और राजा कभी भी छीन सकता था | ऐसा इनके ग्रंथों में लिखा हुआ है | जब हमारे पास संपत्ति ही नहीं होगी तो हमारी मूलभूत आवश्यकताएं कैसे पूरी होगी ? हमारे पास पेट भरने के लिए, तन ढकने के लिए वस्त्र और सिर छुपाने के लिए घर कहाँ से आयेंगे ? ऐसी स्थिति से बचाने के लिए संविधान में विशेष प्रावधान किये गए लेकिन आज भी ये लोग चाहते हैं कि हम लोग उसी मनु काल के दौर में पहुँच जाएँ | इन लोगो ने हमको रोजगार के अवसर नहीं दिए | इन्होने अपने धर्म ग्रंथो के माध्यम से हमारा कार्य सिर्फ सेवा कार्य करना ही बताया जिसके बदले में कुछ नहीं मिलता था | अगर कोई सेवा कार्य को छोड़कर कोई दूसरा कार्य करना चाहे तो उसके लिए कठोर दंड का प्रावधान था | जब किसी पूरे समाज के पास रोजगार ही नहीं होगा तो उसका आर्थिक विकास कैसे होगा और बिना अर्थ शक्ति के कोई भी समाज किसी भी तरह की तरक्की कैसे कर सकता है ? रोजगार के अवसर देने के लिए संविधान में विशेष प्रावधान किये गए | आरक्षण का वास्तविक अर्थ है प्रतिनिधित्व | सदियों तक हमको शासन प्रशासन के कार्यो से वंचित रखा गया जबकि जो देश के नागरिक हैं उनका सभी शासनिक और प्रशासनिक अंगों में उनकी संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व होना चाहिए | बिना सामान प्रतिनिधित्व के किसी भी समाज के लिए न्याय की कल्पना करना बेमानी है | जो भी लोग शासन प्रशासन में बैठेंगे, वो उसी समाज का भला चाहेंगे जिस समाज का वो प्रतिनिधित्व करते हैं, जिस समाज से वो ताल्लुक रखते हैं, बाकि सभी समाज की आवश्यकताओं को वो नजरंदाज कर देंगे | हमारे साथ भे यही होता रहा | जब हमारे लोग शासन प्रशासन में ही नहीं थे तो हमको अछूत बनाकर रखा गया | हमको जानवर से भी बदतर जीवन जीने के लिए मजबूर किया गया | ये सब इसलिए किया गया क्योंकि शासन प्रशासन में हमारा कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था | अगर शासन प्रशासन में हमारा भी कोई प्रतिनिधि होता तो हमारे बारे में कुछ तो सोचता | कुछ तो हमारी स्थिति बेहतर होती | ऐसी स्थिति जातिगत मानसिकता के चलते पैदा ना हो, शासन प्रशासन में सभी का प्रतिनिधित्व हो इसिलए आरक्षण का प्रावधान किया गया | आज लोग आरक्षण का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि उनके लिए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं जबकि वो अपनी आबादी से कई गुना अधिक पद कब्जाए हुए हैं | आरक्षण सामाजिक न्याय का साधन है ना कि नौकरी का ।

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