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माँ को बनाकर खुदा बेरोजगार हो गया

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मैं मानता हूं कि मेरे blogger के कैटेगरी के हिसाब से यह लेख मैच नहीं खाता है, पर क्या करें दोस्तों मां के आगे तो सारा कायनात झुक जाता है। एक माँ रहती है मेरे मंदिर जैसे घर में, और दूसरी मां का आगमन हो चुका है पूरे हिंदुस्तान भर में। #जय_माता_दी खुदा ने कुरान ए शरीफ में,भगवान राम जी रामायण मे, भगवान श्रीकृष्ण जी ने द्वापर युग में, माँ कि प्यार कि कुछ ऐसी मिसाल दि है, उठाके जन्नत और स्वर्ग माँ के कदमो में डाल दि हैं। कौन हो तुम इस कदर नाजुक हो जो हाथ लगाने से बिखर जाती हो, और इस कदर मजबूत हो जो पर्वत को चीर कर नदियों के तरह गुजर जाती हो। तुम्हारी आवाज इतनी मध्यम है कि वक्त को भी लोरिया गाकर सुला दे, और यही आवाज जब औलाद के हक के लिए गूंज उठे तो चट्टान जैसे मुश्किलों को तिनके की तरह उड़ा दे। ऐसी कोई ठोकर ना बन सकी जो तुम्हें गिरा दें, फिर भी रोज हाथों से गिरती हो दुआओं की तरह, धूप जैसे तपते हौसले हैं तुम्हारे और खुद नजर आती हो छांव की तरह। पहचान गया मैं तुम्हें, जान गया तुम कौन हो तुम,किसी मंदिर से उठती हुई लोवान का धुआं हो तुम, किसी मस्जिद से आती हुई सवेरे कि  आजां ह

भारत का प्रथम शहीद तिलका मांझी India's first martyr Tilka Manjhi

https://youtu.be/KsymuBkfAAs

भारत का प्रथम शहीद तिलका मांझी उर्फ जबड़ा पहरीया

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दोस्तों आज मैं भारत के प्रथम आदि विद्रोही प्रथम शहीद तिलका मांझी उर्फ जबरा पहाड़िया जी के बारे में। बात करने वाला हुं। यहां देखें क्या हूवा चौक गयें, भाई चौंकिये नहीं, मेरे साथ भी ऐसा हि हुवा था, बचपन से सुना था कि हमारे देश का प्रथम बिद्रोही शहीद मंगल पांडेय जी हैं, दोस्तों मंगल पांडेय जी हमसभी भारतीयों के लिये अपने प्राणो कि आहुति दिया हैं, मैं बिरेन्द्र मंडल उनके चरन कमलो में कोटि-कोटि नमन करता हुं। और ना हि मेरा मंसा किसि भी शहीद कि शहादत को माप तोल करना हैं, बस देश और समाज के सामने इतिहास के कुछ धुंधला पन्नों का उजागर करना हैं, इस मकसद से इस चाइनल का निर्माण भी हुवा है। किसि ने क्या खुब लिखा हैं दोस्तों पूजे न शहीद गए तो फिर, यह पंथ कौन अपनाएगा ? तोपों के मुँह से कौन अकड़ अपनी छातियाँ अड़ाएगा ? चूमेगा फन्दे कौन, गोलियाँ कौन वक्ष पर खाएगा ? अपने हाथों अपने मस्तक फिर आगे कौन बढ़ाएगा ? पूजे न शहीद गए तो फिर आजादी कौन बचाएगा ? फिर कौन मौत की छाया में जीवन के रास रचाएगा ? पूजे न शहीद गए तो फिर यह बीज कहाँ से आएगा ? धरती को माँ कह कर, मिट्टी माथे से कौन लगाएगा ?

शिक्षा जीवन के सभी चुनौतियों को पार कर सकता है

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शिक्षा वो यंत्र है, जो हमारे जीवन की सभी चुनौतियों और खुशियों के बारे में हमारे सभी संदेहों और डर को मिटाने में मदद करती है। ये वो यंत्र है जो हमें खुश और शान्तिप्रिय बनाने के साथ ही बेहतर सामाजिक मनुष्य बनाती है। हमारे अध्यापक हमारे लिए भगवान के समान है, जो शैक्षिक संस्थानों के माध्यम से हमें अच्छे स्तर की शिक्षा प्रदान करने में हमारी सहायता करते हैं। वो हमें सबकुछ सिखाने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए अपने सबसे अच्छे प्रयास करते हैं। हमारे शिक्षक हमारे जीवन से अंधकार, भय, सभी संदेहों को मिटाने और इस बड़े संसार में खूबसूरत भविष्य बनाने में मदद करने के लिए आते हैं। शिक्षा केवल ज्ञानार्जन करना नहीं है हालांकि, इसका अर्थ खुश रहने, दूसरों को खुश करने, समाज में रहने, चुनौतियों का सामना करने, दूसरों की मदद करने, बड़ों की देखभाल करने, दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने आदि के तरीकों को सीखना है। मेरे प्यारे मित्रों, शिक्षा एक स्वस्थ्य भोजन की तरह है जो हमें आन्तरिक और बाहरी दोनों तरीके से पोषित करती है। ये हमें आन्तरिक रुप से मजबूत बनाती है और हमारे व्यक्तित्व के निर

शहीद रामफल मंडल की कहानी BIRENDAR DHANUK के जुबानी

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अमर शहीद रामफल मंडल जी का 75 वां शहादत समारोह पुणे75th martyrdom ceremon...

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बिहार के बांका जिला में स्वर्ग से सुन्दर जगह Beautiful place from heaven...

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