धानुक जाति के लोगों की जिंदगी बदहाल
धानुक जाति के लोगों की जिंदगी बदहाल बड़हरिया:- सामाजिक संरचना में अहम भूमिका निभानेवाली कुछ जातियां सरकार की तमाम कवायदाें व कोशिशों के बावजूद आज तक विकास की मुख्यधारा में नहीं जुड़ पायी हैं. इन्हीं जातियों में शामिल है-धानुक जाति। इस जाति का पुश्तैनी पेशा सुतली काटना और उससे रस्सी बनाना है। लेकिन बदलते दौर ने धानुक जाति से उनका पैतृक पेशा छीन लिया है।दरअसल खेती के कार्यो में बैल की जगह ट्रैक्टर ने ले ली व कृषि कार्यों के लिए रस्सी, पगहा, गलजोरी, बरही आदि की जरूरत खत्म हो गयी। इतना ही नहीं पटसन की रस्सी की जगह प्लाॅस्टिक की रस्सी आ गयी। इस प्रकार समाज में बड़ी भूमिका निभानेवाली धानुक जाति हाशिये पर चली गयी। प्रखंड की चौकी हसन पंचायत के धानुक टोला 100 घर व रसूलपुर पंचायत के रसूलपुर गांव में करीब 40 घर धानुक जाति के लोग रहते हैं। पलानी के घर व नंग-धड़ंग बच्चों को देख कर इनकी बस्ती का अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। रसुलपुर धानुक बस्ती के अधिकतर धानुक लोगों को आज तक पक्का मकान नसीब नहीं हो पाया है। यूं कहें कि यह जाति सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक व आर्थिक दृष्टि से आज भी